खिलाड़ियों के लिए रेलवे छूट की बहाली: एक सामाजिक और खेल नीति की आवश्यकता

भारत आज खेलों के क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान बना रहा है। ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता यह दिखाती है कि हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन जब हम इन खिलाड़ियों के संघर्ष को करीब से देखते हैं, तो यह साफ होता है कि सफलता तक पहुंचने का रास्ता कितना कठिन है। इस सफर में यात्रा, उपकरण और प्रशिक्षण जैसी बुनियादी सुविधाएं ही सबसे बड़ी चुनौती बन जाती हैं।

इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए भारतीय रेलवे द्वारा दी जाने वाली खिलाड़ियों की यात्रा रियायत एक ऐतिहासिक और सहायक कदम थी। दुर्भाग्यवश, मार्च 2020 में इस सुविधा को बंद कर दिया गया, जिससे देशभर के हजारों खिलाड़ियों को झटका लगा। अब, जब रेलवे की आर्थिक स्थिति में सुधार हो चुका है, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है — आखिर खिलाड़ियों के लिए यह रियायत अब तक बहाल क्यों नहीं की गई?

खिलाड़ियों के लिए रेलवे छूट क्यों थी महत्वपूर्ण

रेलवे छूट केवल टिकट पर मिलने वाली रियायत नहीं थी, बल्कि यह भारत के उन उभरते खिलाड़ियों के लिए जीवनरेखा थी जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे थे।

राज्य, जिला या राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले अधिकांश खिलाड़ियों के पास प्रायोजक या आर्थिक सहायता नहीं होती। उनके लिए यात्रा का खर्च ही सबसे बड़ी बाधा होता है। रेलवे रियायत से उन्हें प्रतियोगिताओं में शामिल होने का अवसर मिलता था, जिससे उनकी प्रतिभा को मंच मिल पाता था।

इस सुविधा ने विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे शहरों के खिलाड़ियों को सशक्त किया, जिनके लिए प्रतियोगिता स्थल तक पहुंचना ही एक बड़ी उपलब्धि होती थी।

क्यों बंद हुई यह सुविधा

20 मार्च 2020 को रेल मंत्रालय ने खिलाड़ियों सहित कई श्रेणियों को दी जाने वाली रियायतें बंद कर दीं। उस समय सरकार का कहना था कि रेलवे पर बढ़ता वित्तीय बोझ और सब्सिडी का घाटा इस निर्णय का प्रमुख कारण था।

कोविड-19 महामारी के दौरान रेलवे की आय में बड़ी गिरावट आई थी, और उस स्थिति में रियायतें बंद करना एक व्यावहारिक कदम माना गया। लेकिन अब जब रेलवे लाभ में है, तो इस नीति की पुनर्समीक्षा आवश्यक हो गई है।

रेलवे की मौजूदा आर्थिक स्थिति

भारतीय रेलवे ने 2022-23 में 2.39 लाख करोड़ रुपये की कमाई की, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक है। रेलवे का परिचालन अनुपात (Operating Ratio) भी काफी बेहतर हुआ है — 2021-22 में यह 107.39% था, जो 2023-24 में घटकर 98.45% पर आ गया है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रेलवे अब वित्तीय घाटे से उबर चुका है और एक लाभकारी इकाई बन गया है। ऐसे में खिलाड़ियों के लिए रियायत बहाल करना रेलवे पर कोई बड़ा आर्थिक दबाव नहीं डालेगा। इसके विपरीत, यह एक सामाजिक निवेश साबित होगा जो देश की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

जमीनी खिलाड़ियों पर प्रभाव

रेलवे रियायत बंद होने का सबसे गहरा असर उन खिलाड़ियों पर पड़ा जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। जिला Sports news और राज्य स्तर के प्रतियोगियों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए कई बार अपने परिवार से उधार Khel samachar लेना पड़ता है या यात्रा छोड़नी पड़ती है।

कई खेल संघों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पी.टी. उषा ने भी कहा था कि खिलाड़ियों को सुविधा देना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी माना कि खेलों के विकास के लिए केवल बड़े बजट की योजनाएं नहीं, बल्कि ऐसी छोटी लेकिन प्रभावशाली नीतियां भी जरूरी हैं जो खिलाड़ियों के लिए वास्तविक राहत प्रदान करें।

संसद और जनता की प्रतिक्रिया

पिछले कुछ वर्षों में कई सांसदों ने संसद में यह मुद्दा उठाया है। खेल मंत्रालय ने भी रेल मंत्रालय को कई बार पत्र लिखकर खिलाड़ियों की रियायत बहाल करने का आग्रह किया है।

सोशल मीडिया पर भी यह विषय तेजी से चर्चा में है। #Concession4Athletes अभियान के माध्यम से खिलाड़ी, पत्रकार और खेल प्रेमी एकजुट होकर यह मांग कर रहे हैं कि सरकार इस नीति को तुरंत पुनः लागू करे। इस अभियान का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्रालय तक खिलाड़ियों की आवाज़ पहुंचाना है।

खेल नीति के दृष्टिकोण से

भारत का लक्ष्य अगले दशक में “विश्व खेल महाशक्ति” बनने का है। इसके लिए केवल शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों को ही नहीं, बल्कि जमीनी खिलाड़ियों को भी समान अवसर और सहायता प्रदान करनी होगी।

रेलवे रियायत की बहाली इस दिशा में एक ठोस कदम हो सकती है। यह न केवल खिलाड़ियों की यात्रा को सुलभ बनाएगी बल्कि यह संदेश भी देगी कि सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ खड़ी है।

निष्कर्ष

खेल किसी भी राष्ट्र की ऊर्जा, अनुशासन और एकता का प्रतीक होते हैं। यदि भारत को खेलों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनना है, तो उसे अपने खिलाड़ियों के संघर्ष को समझना और उनका समर्थन करना होगा।

भारतीय रेलवे द्वारा दी जाने वाली खिलाड़ियों की यात्रा रियायत केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक सामाजिक प्रतिबद्धता थी। इसे बहाल करना खिलाड़ियों के मनोबल को बढ़ाने के साथ-साथ सरकार की खेल-प्रोत्साहन नीति को भी मजबूत करेगा।

अब समय है कि यह रियायत फिर से शुरू की जाए — ताकि कोई भी खिलाड़ी केवल आर्थिक कारणों से अपने सपनों से समझौता न करे। यह कदम न केवल खेलों के विकास की दिशा में होगा, बल्कि भारत के उज्जवल खेल भविष्य की ओर एक नई शुरुआत भी बनेगा।



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